Islamic story hindi|एक शराबी की जबरदस्त कहानी

Story एक शराबी की

पुराने जमाने की बात है। एक शराबी था। बहुत शराब पीता था। एक दिन उसने चंद दोस्तों को बुलाया। दावत की महफिल लगी। शराब लाई गई। और शराब की महफिल जब गरम हुई तो उस शराबी को खयाल आया कि शराब के साथ अगर कुछ खाने पीने की भी चीज हो तो बड़ा मजा आ जाए। 

उसने अपने गुलाम को बुलाया और उसको चार दिरहम दिए और कहा कि जाओ बाजार जाओ और कुछ अच्छी अच्छी खाने पीने की चीजें लेकर आओ। नौकर ने कहा कि ठीक है। उस गुलाम ने चार दिरहम लिए। बाजार गया। 

जब वह बाजार से गुजर रहा था तो उसने देखा कि एक बुजुर्ग किसी मजबूर। बेबस और गरीब को लेकर खड़े हैं। और बाजार में जोर जोर से एलान कर रहे हैं कि हे कोई इस गरीब की मदद करने वाला ?  

जो इसको चार दिरहम देगा मैं उसको चार दुआएं दूंगा। इस गुलाम को ऐसा लगा कि इस गरीब की मदद कर देनी चाहिए। उसने उस बुजुर्ग को चार दिरहम दिए। बुजुर्ग ने चार दिरहम लिए और उस गरीब को दिए। गरीब खुश होकर हंसता खेलता हुआ चला गया तो 

Allah vale se चार दुआएं करवाना 

बुजुर्ग ने उस गुलाम से कहा कि बता तेरी चार दुआएं क्या है?
 1. तो गुलाम ने कहा कि मेरी पहली दुआ तो यह है कि ये चार दिरहम का बदला मुझे मिल जाए जल्दी से ताकि मुझे मालिक के सामने जाना है तो क्या मुंह लेकर जाऊंगा। बुजुर्ग ने हाथ उठाया और दुआ की कि अल्ला इसको ये चार दिरहम का बदला अच्छा दे दे।

 2. फिर बुजुर्ग ने पूछा तुम्हारी दूसरी दुआ क्या है ? तो उस गुलाम ने कहा कि मैं गुलाम हूं। मुझे मेरा मालिक आजाद कर दे। बुजुर्ग ने हाथ उठाया और कहा कि अल्ला इसको आजादी दे दे। 

 3. कहा कि तेरी तीसरी दुआ क्या है। तो उस गुलाम ने कहा कि मेरा मालिक शराब बहुत पीता है। आप दुआ करें कि उसकी शराब छूट जाए तो बुजुर्ग ने हाथ उठाई उसकी भी दुआ कर दी। 

 4. फिर बुजुर्ग ने पूछा कि तुम्हारी चौथी दुआ क्या है ? तो उस गुलाम ने कहा कि आप दुआ करें कि अल्लाह ताला मेरी आपकी‌ इस पूरे बाजार की। मेरे मालिक की और सारे इंसानों की मगफिरत कर दे। बुजुर्ग ने हाथ उठाकर चारों दुआएं कर दी। 

Gulam ka मालिक के पास वापस जाना 

गुलाम उतरासा मुंह लिए जब वापस लौटा तो मालिक तो बड़ी बेचैनी से उसका इंतजार कर रहा था। जैसे ही गुलाम आया। एक तो देर से आया। उसके बाद खाली हाथ आया तो मालिक बहुत गुस्से में था। मालिक ने कहा कि क्या बात है। मैंने तुम्हें चार दिरहम दिए थे। खाने के लिए सामान लाने के लिए। एक तो तुम देर से आए। ऊपर से खाली हाथ। क्या बात है ? क्या हुआ?

तो उस गुलाम ने इत्मीनान से सारा किस्सा सुनाया और कहा कि मैंने चार दुआएं उस बुजुर्ग से करवाई है ।तो उन्होंने मुझे चार दुआएं दी है। मालिक ने जब पूरा किस्सा सुना तो उसका दिल थोड़ा सा नरम हुआ। कहा कि बता तूने चार दुआएं क्या करवाई? 

मालिक:चार दुआएं क्या है ?

  • तो गुलाम ने कहा कि मैंने पहली दुआ यह कराई कि मुझे ये चार दिरहम का बदला मुझे मिल जाए। मालिक ने कहा कि जा मैंने तुझे 4000 दिरहम इनाम में दे दिए। गुलाम खुश हो गया। 
  • कहां के दूसरी दुआ क्या करवाई। कहा कि मैंने दूसरी दुआ यह करवाई। कि मैं गुलाम हूं। मेरा मालिक मुझे आजाद कर दे। मालिक ने कहा कि जा मैंने तुझे आजाद कर दिया। 
  • कहा कि तीसरी दुआ क्या करवाई। कहा कि मैंने यह दुआ करवाई कि मेरा मालिक बहुत शराब पीता है। खुदा उसकी दारू छुड़वा दे। उसे नेक बना दे। तो मालिक ने कहा कि मैं कसम खाता हूं कि आज से मैं शराब को हाथ भी नहीं लगाऊंगा। 
  • कहा कि चौथी दुआ क्या करवाई। कहा कि मैंने चौथी दुआ यह करवाई कि खुदा मेरी। उस बुजुर्ग की। उस गरीब की। सरे बाजार की। मेरे मालिक की। उसके दोस्तों की और सारे इंसानों की मगफिरत कर दे। उनके गुनाहों को माफ कर दे। मालिक ने कहा कि यह मेरे बस में नहीं है। 

Gareeb ki मदद का फायदा 

बहरहाल मालिक जब रात को सोया तो उसने खाब देखा कि कोई कहने वाला कह रहा था कि तूने तेरे बस के तीन काम कर दिए। चौथा काम हम कर देते हैं। हमने तेरी। तेरे दोस्तों की। तेरे उस गुलाम की।उस बुजुर्ग की। उस गरीब की और सारे लोगों की मगफिरत कर दी। उनको माफ कर दिया। 

इस कहानी से दो सबक मिलते है 

मेरे भाइयों और बहनों इस किस्से से हमको दो सबक मिलते हैं।
  1. पेहला सबक यह है कि कभी भी किसी गरीब की मदद करने में पीछे नहीं हटना चाहिए। चाहे आपकी हैसियत हो या न हो। 
  2. दूसरा सबक यह मिला कि हमको जो भी काम अपने बस में हो वह कर देना चाहिए। तो फिर अल्लाह जो उसकी बस में है‌। ओर उसके बस में सब कुछ है। वह अपना काम कर देता है। मुझे उम्मीद है कि आपको यह किस्सा समझ में आ गया होगा 

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Assalamualaikum आशा है कि आप खैरियत से होंगे

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